हवा के जरिए फैल रहे कोरोना से बचाव कैसे करें? एम्स चीफ ने दी सलाह

हवा के जरिए फैल रहे कोरोना से बचाव कैसे करें? एम्स चीफ ने दी सलाह

सेहतराग टीम

कोरोना महामारी (Corona Virus Pandemic) के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। भारत में हर दिन 2 लाख से ज्यादा नए केस एक्‍टिव हो रहे हैं। बता दें कि कोविड-19 समय के साथ अपना रूप बदलता जा रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब ये वायरस हवा में भी घुल चुका है। हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल 'द लांसेट' में छपी एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया कि वायरस का ज्यादातर ट्रांसमिशन हवा के रास्ते (Aerosol) से हो रहा है। इसी बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) (All-India Institute of Medical Sciences) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने नए रिसर्च के निष्कर्षों के मद्देनजर अच्छे क्रॉस वेंटिलेशन की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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डॉक्टर गुलेरिया (Randeep Guleria) ने कहा कि 'नए रिसर्च में बताया गया है कि कोविड हवा के जरिए से फैलता है न कि ड्रॉपलेट्स (बूंदों) के माध्यम से, जैसा कि शुरू में माना जाता था। मेडिकल जर्नल लैंसेट (Medical journal Lancet) के एक नए आर्टिकल में कुछ सबूतों के हवाले से कहा है कि वायरस बहुत अधिक मात्रा में हवा के जरिए फैल रहा है और इससे लड़ने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को बदलना चाहिए।'

​कोविड को कम करने के लिए जरूरी है इंडोर वेंटिलेशन

एक चैनल से बात करते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा कि 'बाहर के मुकाबले वायरस के घर के अंदर फैलने की संभावना ज्यादा होती है। लिहाजा इससे बचाव के लिए हमें गर्मियों में अपने घर की सभी खिड़कियां खोलना और अच्छी क्रॉस वेंटिलेशन (Good cross ventilation) करना जरूरी है। आपके रूम में हवादार (ventilated) होना चाहिए जिससे बेहतर क्रॉस वेंटिलेशन हो सके।

कोविड पीरियड में बेहतर होगा अगर आप रूम में ज्यादा लोगों को एकत्रित न होने दें और न ही किसी बंद कमरे में ज्यादा देर तक बैठें। क्योंकि बंद कमरे में रहने वाला व्यक्ति अगर खांसता है या छींकता (sneezes) है तो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।'

कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के 10 मीटर दूर वाले भी हो सकते हैं संक्रमित

डॉक्टर गुलेरिया ने आगे लोगों को सचेत करते हुए कहा, 'ऐसा नहीं है कि अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे इंसान से 10 मीटर की दूरी पर बैठा हो जो कोविड पॉजिटिव है तो उससे संक्रमित नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि एरोसोल लंबी दूरी की यात्रा कर सकता है।'

संक्रमण की बारीकियों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, 'एरोसोल संक्रमण ड्रॉपलेट्स ट्रांसमिशन से काफी अलग है। ड्रॉपलेट्स 5 माइक्रोन से बड़े पार्टीकल्स होते हैं और वे बहुत दूर तक नहीं जा सकते। सबसे अधिक से अधिक दो मीटर तक जा सकते हैं और फिर जमीन पर गिर जाते हैं।'

​बूंदों की बजाए हवा के जरिए तेजी से फैल रहा SARS-CoV-2

पिछले सप्ताह ही 'द लैंसेट' में छपी स्टडी में भी ये कहा गया है कि SARS-CoV-2 वायरस के सुपरस्प्रेडर इवेंट महामारी को तेजी से आगे ले जा रहा है और इसके कई सबूत भी हैं। इसमें कहा गया है कि ऐसे ट्रांसमिशन का हवा (aerosol) के जरिए होना ज्यादा आसान है बजाय बूंदों के।

ताजा शोध के अनुसार, क्वारंटीन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों के बीच ट्रांसमिशन देखा गया, बिना एक-दूसरे के कमरे में गए। Lancet की स्टडी में जानकारी दी गई है कि 40 फीसदी लोगों में उन लोगों से कोरोना फैलता है जो खांसते या छींकते भी नहीं हैं। पूरी दुनिया में कोरोना के फैलने का यही मुख्य कारण है, क्योंकि यह मुख्य रूप से हवा के जरिए फैला। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हवा में वायरस के फैलाव की बात को ध्यान में रखकर बचाव की रणनीति बनाने की जरूरत है।

बड़े ड्रॉपलेस से वायरस के स्प्रेड होने के नहीं मिले सबूत

लीसेंट की एक्सपर्ट टीम ने कहा, 'अब WHO (World Health Organization) और अन्य पब्लिक हेल्थ एजेंसियों को इसे गंभीरता से लेने और वायरस के प्रसार को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।'

लीसेंट के अलावा ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने भी इस रिसर्च की समीक्षा की है और हवा में वायरस के फैलने के दावों को हाइलाइट किया है। इस स्टडी में कहा गया है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि बड़े ड्रॉपलेट्स से ही कोरोना वायरस का प्रसार होता है। इसमें कहा गया है कि यह प्रमाणित हो चुका है कि यह वायरस हवा के जरिए तेजी से फैलता है।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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